Health tips

Reading Time: 4 minutes
Read Previous post!
Read Next post!

परिचय- आज के इस दौर में कई तरह की चिकित्सा पद्धतियां हैं जो किसी भी रोग को ठीक करने की शक्ति रखती हैं। आज जब हम बीमार पड़ते हैं और किसी डॉक्टर के पास जाते हैं तो वह बीमारी को ठीक करने के लिए दवाई आदि दे देता है। लेकिन वह दवाई हमारे रोग को दबा देती है और हम बाहरी तौर पर स्वस्थ हो जाते हैं। असल में हमें जो दवा दी जाती है, वह सिर्फ रिजल्ट ठीक करती है लेकिन रोग का कारण वहीं रहता है। यदि आप पूर्ण रूप से स्वस्थ होना चाहते हैं तो प्रकृति के कुछ नियमों का पालन करें। यदि हम प्रकृति और आहार नियमों का पालन करें तो जीवन में कभी बीमार नहीं पड़ेंगे। वैसे भी मानव शरीर एक मशीन के समान है जिसमें अनेक अंग विभिन्न कार्यों को करते हैं। जिस प्रकार मशीन की देखभाल न करने पर उसमें खराबी आ जाती है उसी तरह शरीर की देखभाल न करने पर भी उसमें खराबी आ जाती है। स्वास्थ्य क्या है? इसके बारे में अलग-अलग पैथिज के अनुभवी अपनी-अपनी राय रखते हैं जैसे- डेंगू मच्छर आज के दौर में सबसे खतरनाक मच्छर माना जाता है। एलौपैथी के अनुसार- डेंगू मच्छर से बचने के लिए दवाईयों का सहारा लो, घर में मच्छर भगाने वाली मशीन और शरीर पर मच्छर दूर रखने वाली क्रीम आदि लगाएं। होम्योपैथिक के अनुसार-शरीर को जहां तक हो सके ठंड से बचाओ तो शरीर मजबूत रहेगा। आयु्र्वेद के अनुसार- पेट को साफ रखो। अन्य अनुभवियों के अनुसार- शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाओ। नैचर कहता है कि मेरे नियमों का पालन करो, बाकी सबकुछ अपने आप मैंटेन हो जाएगा। बिना किसी खर्च और एडीशनल वर्क के नैचरपैथी का सहारा लेकर आप खुद को और अपनों को स्वस्थ रख सकते हैं। हम आपको नैचरपैथी का ज्यादा से ज्यादा ज्ञान देकर नैचरपैथी का चिकित्सक बनाने जा रहे हैं। स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्राकृतिक नियम- स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रतिदिन क्षमता के अनुसार कुछ व्यायाम करें। पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक भोजन लें। शरीर को आवश्यकतानुसार आराम दें एवं भरपूर नींद लें। मौसम के अनुकूल कपड़े पहने। बुरी आदतों से बचें। तनावमुक्त रहें और इसके लिए प्राणायाम का अभ्यास करें। उठने-बैठने की सही मुद्रा अपनाएं। शरीर की नियमित मालिश करवाएं। शरीर को साफ व स्वच्छ रखें। सप्ताह में एक बार उपवास अवश्य रखें। अच्छा स्वास्थ्य वह है जिसमें शरीर एवं मस्तिष्क दोनों स्वस्थ हों। यदि शरीर हष्ट-पुष्ट हो परंतु मस्तिष्क अस्वस्थ हो तो ऐसे शरीर को स्वस्थ नहीं माना जा सकता। हमारे द्वारा किया गया कोई भी कार्य मस्तिष्क के आदेश पर ही होता है इसलिए मस्तिष्क अस्वस्थ रहने पर कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो सकता। मस्तिष्क के समान ही शरीर अस्वस्थ रहने पर भी कोई कार्य पूर्ण नहीं हो सकता। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए शरीर एवं मस्तिष्क दोनों का स्वस्थ रहना आवश्यक है। अक्सर लोगों को स्वास्थ्य के महत्व का पता ही नहीं होता और अपनी इस अज्ञानता के कारण वे हमेशा स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह बने रहते हैं। यही लापरवाही दिन-प्रतिदिन शरीर को अस्वस्थ बनाती चली जाती है और लोगों का जीवन अनेक कष्टों से भर जाता है। किसी भी स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक है कि वह स्वास्थ्य के नियमों का पालन करें। यदि हम स्वास्थ्य नियमों को अपने जीवन का एक अंग मानकर पालन करें तो किसी भी प्रकार की बीमारी की संभावना ही समाप्त हो जाएगी। जब हम स्वस्थ होंगे तब अपने शरीर व मस्तिष्क का पूर्ण प्रयोग कर सकेंगे। वैसे कहा भी गया है- स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है और स्वस्थ मन में ही उच्च विचार पनपते हैं। अतः स्वास्थ्य नियमों का पालन करना ही सुखमय जीवन की कुंजी है। कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो आप अपने आपसे पूछकर अपने स्वास्थ्य संबंधी सवालों का पता लगा सकते हैं जैसे- क्या आप अपनी वास्तविक उम्र से कम दिखते हैं? क्या आपका शारीरिक व्यक्तित्व सामान्य है? क्या आपके चेहरे की रंगत लालिमायुक्त है? क्या आपकी आंखों में जीवन की चमक है? क्या आपकी मुखमुद्रा प्रसन्नचित्त है? क्या आप अपने शरीर में चुस्ती-फुर्ती व शक्ति का अनुभव करते हैं? क्या आप हमेशा स्वच्छ रहते हैं? आपका पेट ठीक रहता है तथा आपको खुलकर भूख लगती है? आपको समय से अच्छी नींद आती है? शौच साफ, बंधा हुआ एवं नियमित होता है? क्या भूख प्राकृतिक रूप से लगती है? दिन-भर शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है? क्या पेट छाती से कम है? मादक एवं उत्तेजक पदार्थों की चाह नहीं हैं। रचनात्मक कार्यों में लगे रहने की प्रवृत्ति हैं? चेहरे पर मुस्कान बनी रहती है? सभी शारीरिक क्रियाएं सामान्य हैं? इन सभी प्रश्नों में से यदि आपका उत्तर सकारात्मक है तो आप निश्चित ही स्वस्थ हैं परंतु एक भी प्रश्न के उत्तर में यदि आपका उत्तर नकारात्मक हो तो आप पूर्ण स्वस्थ नहीं हैं। अस्वस्थ व्यक्ति की पहचान क्या है? यदि शारीरिक क्रियाएं असामान्य हो। चेहरे एवं आंखों की चमक समाप्त हो गई है और आंखों के नीचे काले घेरे पड़ रहे हैं। अधिक चिड़चिड़ापन, बात-बात पर गुस्सा करना एवं निराशापूर्ण बातें करना। छोटे-छोटे कार्यों में थकावट महसूस करना एवं अधिक हताश रहना। भूख न लगना एवं नींद न आना। मल पतला या गांठ के रूप में आना। भूख न लगना। पेट छाती से बड़ा होना। मन में हमेशा नकारात्मक विचार उत्पन्न होना। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होना। आलस्य छाया रहना। नशीले पदार्थों का सेवन करना। मोटापा, अधिक या कम शारीरिक वजन। अब हम स्वस्थ और अस्वस्थ शरीर की पहचान कैसे करेंगे? किसी व्यक्ति को सीधे तौर पर देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि वह स्वस्थ है या अस्वस्थ। कई ऐसे लोग होते हैं जो देखने में तो स्वस्थ लगते हैं लेकिन आंतरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं। यह बात उन लोगों को पता नहीं होती लेकिन उनमें अस्वस्थता के लक्षण झलक रहे होते हैं जैसे- आलस्य छाया रहना, काम में मन न लगना, मानसिक परेशानी आदि। कई बार बाहरी तौर पर स्वस्थ दिखाई देने के कारण लोग उसकी ओर ध्यान नहीं देते और न ही वे स्वयं उस पर ध्यान देते हैं। ऐसे में कोई बाहरी तौर पर स्वस्थ दिखाई देता है तो वे स्वस्थ ही होगा, ऐसा नहीं है।

Read Previous post!
Read Next post!